पटना शूटआउट: बक्सर के कुख्यात अपराधी चंदन मिश्रा की हत्या ने बिहार की जुर्म की दुनिया को फिर हिला दिया है। पटना के पारस अस्पताल के वीवीआईपी कमरे में घुसकर हथियारबंद अपराधियों ने उसे गोलियों से छलनी कर दिया। यह वही चंदन है, जो दर्जनों हत्याओं का आरोपी था और फिलहाल जेल से पेरोल पर इलाज के लिए बाहर आया था।
पटना शूटआउट: इलाज के बहाने VIP कमरा, मौत का मंच
पटना के पारस अस्पताल के वीवीआईपी कमरे में चंदन मिश्रा का पाइल्स ऑपरेशन चल रहा था। यह कमरा न केवल इलाज के लिए बल्कि सुरक्षा के लिहाज से भी चुना गया था। चंदन, जो दर्जनों हत्याओं का आरोपी था, जेल से पेरोल पर बाहर आया था।
18 जुलाई उसकी पेरोल की अंतिम तिथि थी, लेकिन इससे एक दिन पहले ही उसकी हत्या कर दी गई। वारदात को अंजाम देने वाले अपराधियों ने अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए कमरा नंबर 209 में प्रवेश किया।
पटना शूटआउट की सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि अपराधियों की एंट्री और एग्जिट, दोनों ही अस्पताल के CCTV कैमरों में कैद हो गई। इसके बावजूद, वारदात को रोकने में सुरक्षा कर्मी नाकाम रहे।
इस घटना ने न केवल अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दिखाया है कि अपराधी कितने बेखौफ हो चुके हैं। पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि चंदन को पेरोल पर बाहर आने की अनुमति किस आधार पर दी गई थी और क्या यह मर्डर लंबे समय से प्लान किया गया था।** पारस अस्पताल के कमरा नंबर 209 में चंदन मिश्रा का पाइल्स ऑपरेशन चल रहा था। 18 जुलाई उसकी पेरोल की अंतिम तिथि थी लेकिन इससे एक दिन पहले ही उसकी जीवनलीला समाप्त कर दी गई। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि वारदात को अंजाम देने वालों की एंट्री और एग्जिट, दोनों CCTV में कैद हो गए।
पटना शूटआउट: क्रिकेट की पिच से शुरू हुई साझेदारी, कोर्ट में टूटी दोस्ती
चंदन मिश्रा और शेरू सिंह (वास्तविक नाम ओंकारनाथ सिंह) की दोस्ती क्रिकेट के मैदान से शुरू हुई थी। दोनों ने बक्सर और आरा के बीच अपने गैंग को सक्रिय किया और अपराध की दुनिया में कई अध्याय लिखे।
शुरुआत में, दोनों ने मिलकर कई अपराध किए और एक-दूसरे के लिए वफादारी दिखाई। लेकिन 2011 में राजेंद्र केसरी मर्डर केस के बाद, उनके बीच दरार आ गई।
राजेंद्र केसरी मर्डर केस ने न केवल उनके रिश्ते को तोड़ा, बल्कि उनके गैंग के बीच भी फूट डाल दी। चंदन और शेरू के बीच दुश्मनी का सिलसिला शुरू हुआ, जो समय के साथ और गहराता गया।
इस दुश्मनी ने दोनों को अलग-अलग रास्तों पर डाल दिया। चंदन ने अपने गैंग को और मजबूत किया, जबकि शेरू ने अपनी अलग पहचान बनाई। दोनों के बीच कई बार गैंगवार हुए, जिनमें कई निर्दोष लोगों की जान गई।
यह दुश्मनी केवल व्यक्तिगत नहीं थी, बल्कि इसमें राजनीतिक और आर्थिक हित भी जुड़े हुए थे। दोनों ने अपने-अपने क्षेत्रों में दबदबा बनाए रखने के लिए हर संभव कोशिश की।** चंदन मिश्रा और शेरू सिंह (वास्तविक नाम ओंकारनाथ सिंह) की दोस्ती क्रिकेट के मैदान से शुरू हुई थी। बक्सर और आरा के बीच उनका गैंग सक्रिय रहा, और अपराध के कई अध्याय लिखे। लेकिन 2011 के बाद, राजेंद्र केसरी मर्डर केस के बाद दोनों की राहें अलग हो गईं। तब से दोनों के बीच दुश्मनी का सिलसिला शुरू हुआ।
राजनीति का एंगल: पप्पू यादव का दावा
वारदात के बाद सांसद पप्पू यादव का बयान सुर्खियों में आया जिसमें उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से शेरू सिंह की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि “एक आरा का शेरुआ मर्डर करवा रहा है” और उन्हें इस केस से दूर रहने की धमकी दी गई थी।
पप्पू यादव ने इस हत्या को लेकर बिहार की राजनीति पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि यह घटना केवल एक व्यक्तिगत दुश्मनी का परिणाम नहीं है, बल्कि इसके पीछे राजनीतिक और आर्थिक हित भी जुड़े हुए हैं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बिहार में अपराधियों और नेताओं के बीच गठजोड़ ने कानून व्यवस्था को कमजोर कर दिया है। पप्पू यादव ने मांग की कि इस केस की निष्पक्ष जांच हो और इसमें शामिल सभी लोगों को सजा मिले।
उनके इस बयान ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। कई नेताओं ने उनके बयान की आलोचना की, जबकि कुछ ने इसे सही ठहराया। इस मामले ने बिहार की राजनीति में अपराध और राजनीति के गठजोड़ पर एक बार फिर से बहस छेड़ दी है।** वारदात के बाद सांसद पप्पू यादव का बयान सुर्खियों में आया जिसमें उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से शेरू सिंह की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि “एक आरा का शेरुआ मर्डर करवा रहा है” और उन्हें इस केस से दूर रहने की धमकी दी गई थी।
पटना शूटआउट – VIP सुरक्षा में सेंध, कई सवाल खड़े
पटना शूटआउट में VIP कमरे में चंदन मिश्रा की हत्या ने सिस्टम की नाकामी को उजागर कर दिया है। एक हाई-प्रोफाइल अपराधी, जिसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस और अस्पताल दोनों पर थी, उसकी हत्या अस्पताल परिसर में होना बिहार की कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल है।
- पुलिस की लापरवाही या मिलीभगत?: इतने संवेदनशील आरोपी को लेकर सुरक्षा क्यों ढीली रखी गई? क्या यह अपराध पूर्व नियोजित था और सुरक्षा में जान-बूझकर ढिलाई बरती गई?
- CCTV फुटेज के बावजूद कार्रवाई न होना: वारदात की पूरी घटना कैमरे में कैद हुई, लेकिन समय रहते कोई हस्तक्षेप क्यों नहीं हुआ? क्या सिक्योरिटी अलर्ट सिस्टम फेल हो गया?
- पेरोल की प्रक्रिया पर सवाल: चंदन को पेरोल पर बाहर लाने की मंजूरी कैसे मिली, खासकर तब जब वो हत्या जैसे गंभीर मामलों का आरोपी था? इस घटना ने VIP सुरक्षा की परिभाषा ही बदल दी है — क्या सुरक्षा अब सिर्फ नाम भर रह गई है? अगर तुम चाहो तो मैं इसमें एक जनहित अपील वाला हिस्सा और जोड़ सकता हूँ — जिससे पब्लिक की संवेदनाएं भी जुड़ें और वो इस मुद्दे पर जागरूक हों। बताओ, जोड़ें क्या? 📣📝
अभी क्या चल रहा है?
शेरू सिंह फिलहाल जेल में है और हाईकोर्ट द्वारा उसकी फांसी उम्रकैद में बदली जा चुकी है। चंदन मिश्रा की हत्या के बाद अब पुलिस पारस अस्पताल की सिक्योरिटी, CCTV फुटेज, और गैंग वार के तार जोड़ने में जुटी है।