हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने महिला सरकारी कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी महिला के दो बच्चे सरकारी नौकरी से पहले हुए हैं और तीसरा बच्चा नौकरी के दौरान होता है, तो उसे मातृत्व अवकाश से वंचित नहीं किया जा सकता।
न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने इस मामले में कहा कि “याचिकाकर्ता के दो बच्चे सेवा में शामिल होने से पहले हुए थे, लेकिन उसने पहली बार मातृत्व अवकाश की मांग की है। ऐसी स्थिति में उसकी मांग उचित है और इसे स्वीकार किया जाना चाहिए।”
केंद्रीय सिविल सेवा (छुट्टी) नियम 1972 का नियम 43(1) स्पष्ट करता है:
“दो से कम जीवित बच्चों वाली महिला सरकारी कर्मचारी को मातृत्व अवकाश दिया जा सकता है, जो 180 दिनों तक हो सकता है।”
हाई कोर्ट ने निम्नलिखित बिंदुओं पर जोर दिया:
कोर्ट ने के. उमादेवी बनाम तमिलनाडु सरकार (2025) केस का हवाला देते हुए कहा:
“मातृत्व अवकाश का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कामकाजी महिला मातृत्व की स्थिति को सम्मानजनक, शांतिपूर्वक पार कर सके।”
यह फैसला राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी हो सकता है क्योंकि:
कानूनी जानकारों का मानना है कि यह फैसला महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह स्पष्ट करता है कि:
केस का नाम: अर्चना शर्मा बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य एवं अन्य
केस नंबर: CWP No. 10589 of 2025
फैसले की तारीख: 30 जुलाई 2025
न्यायाधीश: न्यायमूर्ति संदीप शर्मा
यह फैसला न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि पूरे देश की महिला सरकारी कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल है। यह दिखाता है कि न्यायपालिका महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
अस्वीकरण: यह जानकारी केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है। कानूनी सलाह के लिए योग्य वकील से संपर्क करें।
By: HT Education DeskPublished: 13 अगस्त, 2025, 4:02 PM IST तुरंत चेक करें - मुख्य…
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