जालंधर – बॉलीवुड अभिनेता राजकुमार राव ने अपनी 2017 की फिल्म ‘बहन होगी तेरी’ के विवादित पोस्टर मामले में जालंधर की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया है। अदालत ने अभिनेता को शर्तों के साथ जमानत प्रदान की है। यह केस 8 साल से चल रहा था।
2017 का विवादित पोस्टर: क्या था मामला?
पोस्टर की विवादास्पद सामग्री:
अप्रैल 4, 2017 को ‘बहन होगी तेरी’ फिल्म के प्रमोशन के दौरान एक पोस्टर रिलीज किया गया था, जिसमें राजकुमार राव को भगवान शिव के रूप में दिखाया गया था। इस पोस्टर में:
- अभिनेता भगवान शिव के वेश में दिखाई गए
- सिल्वर मोटरबाइक पर बैठे हुए (UP नंबर प्लेट के साथ)
- चप्पल पहने और बोरियत भरे चेहरे के साथ
- माथे पर अर्धचंद्र, लंबे बाल और रुद्राक्ष की माला
- बैकग्राउंड में बंद शटर वाली दुकानों की गली
कानूनी कार्रवाई:
इस पोस्टर के कारण धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचने का आरोप लगा और FIR दर्ज की गई।
दर्ज किए गए आरोप और धाराएं
कानूनी धाराएं:
- धारा 295A: धार्मिक भावनाओं को भड़काने के इरादे से किया गया कार्य
- धारा 120B: आपराधिक षड्यंत्र
- IT एक्ट की धारा 67: इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से अश्लील सामग्री का प्रकाशन
आरोपी व्यक्ति:
- राजकुमार राव (मुख्य अभिनेता)
- श्रुति हासन (अभिनेत्री) – बाद में बरी
- अजय के. पन्नालाल (निर्देशक)
- फिल्म के प्रोड्यूसर और सह-निर्देशक
वर्तमान कानूनी स्थिति
28 जुलाई 2025 की सुनवाई:
राजकुमार राव के वकील दर्शन सिंह दयाल के अनुसार:
अदालती प्रक्रिया:
- अभिनेता ने जालंधर की अदालत में आत्मसमर्पण किया
- शर्तों के साथ जमानत मिली
- श्रुति हासन को पहले ही बरी कर दिया गया था
पता संबंधी समस्या:
- समन में दिल्ली का पता था, जबकि अभिनेता मुंबई में रहता है
- इसीलिए पहले सुनवाई में हाजिर नहीं हो सके
- बाद में अदालत में स्वयं उपस्थित हुए
वकील की दलीलें
कलात्मक अभिव्यक्ति का तर्क:
राजकुमार राव के वकील दर्शन सिंह दयाल ने निम्नलिखित तर्क दिए:
1. फिल्मी किरदार:
- यह केवल एक फिल्म का किरदार था
- जागरण ट्रुप में भगवान शिव की भूमिका निभाई गई
- पूर्णतः कलात्मक प्रस्तुतीकरण था
2. कोई धार्मिक नुकसान नहीं:
- किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का इरादा नहीं था
- केवल मनोरंजन के उद्देश्य से बनाया गया
3. CBFC सर्टिफिकेट:
- फिल्म को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड का प्रमाण पत्र मिला था
- इससे साबित होता है कि सामग्री कानूनी रूप से आपत्तिजनक नहीं थी
4. संवैधानिक अधिकार:
- अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार
फिल्म ‘बहन होगी तेरी’ की जानकारी
फिल्म की डिटेल्स:
- निर्देशक: अजय के. पन्नालाल
- मुख्य कलाकार: राजकुमार राव, श्रुति हासन
- रिलीज वर्ष: 2017
- विषय: रोमांटिक कॉमेडी
प्लॉट कॉन्टेक्स्ट:
फिल्म में राजकुमार राव का किरदार जागरण ट्रुप का हिस्सा था, जहां वह भगवान शिव की भूमिका निभाता था। यह पोस्टर उसी संदर्भ में बनाया गया था।
धार्मिक संवेदनशीलता और कला की स्वतंत्रता
विवाद का मुख्य मुद्दा:
- धार्मिक प्रतीकों का व्यावसायिक उपयोग
- कलात्मक अभिव्यक्ति बनाम धार्मिक संवेदना
- आधुनिक संदर्भ में पारंपरिक देवी-देवताओं का चित्रण
समाज में प्रभाव:
यह केस दिखाता है कि भारत में धार्मिक प्रतीकों के उपयोग को लेकर कितनी संवेदनशीलता है और कलाकारों को कितनी सावधानी बरतनी पड़ती है।
बॉलीवुड में इसी तरह के अन्य विवाद
समान मामले:
- पद्मावत फिल्म का विरोध
- PK फिल्म के पोस्टर्स पर आपत्ति
- ओएम शांति ओम में धार्मिक संदर्भों पर विवाद
इंडस्ट्री पर प्रभाव:
ऐसे मामले फिल्म इंडस्ट्री को अधिक सतर्क बनाते हैं और रचनात्मक स्वतंत्रता पर सवाल खड़े करते हैं।
वर्तमान में राजकुमार राव
हालिया प्रोजेक्ट्स:
- हाल की फिल्म: ‘मालिक’ (2025)
- करियर स्टेटस: बॉलीवुड के प्रतिष्ठित अभिनेता
- आगामी फिल्में: कई प्रोजेक्ट्स पाइपलाइन में
प्रभाव:
इस केस का राजकुमार राव के करियर पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है और वह लगातार सफल फिल्में कर रहे हैं।
कानूनी विशेषज्ञों की राय
धारा 295A का विश्लेषण:
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, धारा 295A तभी लागू होती है जब:
- जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का इरादा हो
- व्यापक समुदाय की भावनाएं आहत हों
- कोई सकारात्मक कलात्मक या शैक्षणिक उद्देश्य न हो
इस केस में स्थिति:
फिल्म का CBFC सर्टिफिकेट और कलात्मक संदर्भ राजकुमार राव के पक्ष में महत्वपूर्ण कारक हैं।
भविष्य की चुनौतियां
फिल्म इंडस्ट्री के लिए:
- धार्मिक संवेदनशीलता का सम्मान
- रचनात्मक स्वतंत्रता का संतुलन
- पूर्व सेंसरशिप की आवश्यकता
समाधान की दिशा:
- बेहतर गाइडलाइन्स की जरूरत
- सामुदायिक संवाद का महत्व
- कलात्मक शिक्षा का प्रसार
राजकुमार राव को मिली जमानत इस बात का संकेत है कि अदालत ने कलात्मक अभिव्यक्ति के अधिकार को मान्यता दी है। यह केस 8 साल बाद एक सकारात्मक मोड़ पर पहुंचा है। हालांकि यह विवाद समाज में धार्मिक संवेदनशीलता और कलात्मक स्वतंत्रता के बीच संतुलन की चुनौती को दर्शाता है।
इस मामले से सीख लेकर फिल्म इंडस्ट्री को आगे भी सतर्कता और संवेदनशीलता के साथ अपनी रचनाओं को प्रस्तुत करना होगा।
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स, अदालती रिकॉर्ड, वकील दर्शन सिंह दयाल के बयान
अस्वीकरण: यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। कानूनी सलाह के लिए योग्य वकील से संपर्क करें।