वाशिंगटन – अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी “रेसिप्रोकल टैरिफ” नीति के तहत 69 देशों पर नए आयात शुल्क लगाने का आदेश जारी किया है। इस नई व्यापारिक नीति से भारत पर 25% का टैरिफ बरकरार रहेगा, जबकि पाकिस्तान को राहत मिली है।
मुख्य बिंदु: कौन से देश पर कितना टैरिफ?
ट्रंप प्रशासन के नए आदेश के अनुसार विभिन्न देशों पर अलग-अलग दरों से टैरिफ लगाया गया है:
उच्चतम टैरिफ दरें:
- ब्राजील: 50% (विमान, ऊर्जा और संतरे के रस को छोड़कर)
- सीरिया: 41%
- स्विट्जरलैंड: 39%
- कनाडा: 35% (फेंटानिल संबंधी मुद्दों के कारण)
एशियाई देशों पर प्रभाव:
- भारत: 25% (कृषि क्षेत्र की पहुंच को लेकर बातचीत में गतिरोध)
- पाकिस्तान: 19% (पहले 29% से कम)
- चीन: अभी भी 12 अगस्त की समय सीमा के इंतजार में
- दक्षिण कोरिया: 15% (350 बिलियन डॉलर निवेश के बदले में)
- ताइवान: 20%
भारत-अमेरिका व्यापारिक तनाव
भारत पर 25% टैरिफ का मुख्य कारण कृषि क्षेत्र में पहुंच को लेकर बातचीत में आई रुकावट है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि भारत ने अपने कृषि बाजार तक पर्याप्त पहुंच नहीं दी है।
भारत की चुनौतियां:
- रूसी तेल की खरीदारी पर अमेरिकी नाराजगी
- कृषि क्षेत्र की सुरक्षा की भारतीय चिंता
- रुपए में गिरावट का दबाव
- विपक्षी दलों की आलोचना
भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह अपने श्रम-गहन कृषि क्षेत्र की सुरक्षा को प्राथमिकता देगी, भले ही इससे अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव बढ़े।
मेक्सिको और कनाडा की स्थिति
मेक्सिको को मिली अस्थायी राहत:
- 90 दिन की छूट मिली है
- ऑटोमोटिव और मेटल सेक्टर पर 30% टैरिफ से बचाव
- राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबौम के साथ बातचीत के बाद फैसला
कनाडा पर सख्ती:
- फेंटानिल रोकने में “असहयोग” के कारण 35% टैरिफ
- अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार होने के बावजूद सख्त रुख
चीन के साथ अनसुलझा मामला
चीन के साथ व्यापारिक विवाद अभी भी अनसुलझा है। 12 अगस्त की समय सीमा तक चीन को एक स्थायी टैरिफ समझौता करना होगा। मई और जून में प्रारंभिक समझौते हुए थे, लेकिन अभी भी पूर्ण समाधान नहीं मिला है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभाव
नकारात्मक प्रभाव:
- भारतीय निर्यात में कमी की संभावना
- रुपए पर दबाव
- द्विपक्षीय व्यापार में गिरावट
- विनिर्माण क्षेत्र पर असर
सकारात्मक पहलू:
- घरेलू उद्योगों को बढ़ावा मिल सकता है
- आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
- वैकल्पिक बाजारों की तलाश में तेजी
विशेषज्ञों की राय
व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि यह “रेसिप्रोकल टैरिफ” नीति वैश्विक व्यापार व्यवस्था को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकती है। भारत को अपनी निर्यात रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है।
आगे की राह
ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों ने संकेत दिया है कि और भी व्यापारिक समझौतों की घोषणा होने वाली है। भारत के लिए यह समय है कि वह अपनी व्यापारिक नीति की समीक्षा करे और अमेरिका के साथ बातचीत के नए रास्ते तलाशे।
ट्रंप का नया टैरिफ आदेश वैश्विक व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। भारत को इस चुनौती का सामना करने के लिए रणनीतिक सोच और लचीली नीति की जरूरत होगी। अगले कुछ महीनों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह नीति वैश्विक अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करती है।
लेखक के बारे में: यह लेख विक्रांत बरागटा द्वारा लिखा है को एक अनुभवी अर्थशास्त्र और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार रिपोर्टर है।
स्रोत: अमेरिकी व्हाइट हाउस की आधिकारिक घोषणा और ट्रंप प्रशासन के बयान
अस्वीकरण: यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। निवेश या व्यापारिक निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ सलाह लें।