अंतरिक्ष से लौटे शुभांशु शुक्ला

अंतरिक्ष से लौटे शुभांशु शुक्ला: भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला 18 दिनों के सफल अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) मिशन के बाद पृथ्वी पर सकुशल लौट आए हैं। हालांकि, उनकी भारत वापसी में अभी लगभग एक महीने का समय लगेगा, क्योंकि उन्हें मिशन के बाद की कई महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं से गुजरना है।

शुभांशु शुक्ला: Axiom-4 से गगनयान की नींव तक

Shubhanshu Shukla Axiom-4 foundation of Gaganyaan: शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में कदम रखने वाले दूसरे भारतीय बनकर इतिहास रच दिया है। अब उनकी सुरक्षित वापसी हो चुकी है। ऐसे में, शुभांशु शुक्ला ने इस मिशन से जो सीख हासिल की है, वह ISRO के लिए ट्रेनिंग मास्टर के रूप में काम करेगी और गगनयान के सपने को पूरा करने में मदद करेगी। तो चलिए, जानते हैं शुभांशु शुक्ला की इस ऐतिहासिक वापसी और ISRO के लिए इस अनुभव के क्या मायने हैं।

अंतरिक्ष से लौटे शुभांशु शुक्ला: प्रशांत महासागर में सुरक्षित लैंडिंग

भारतीय समयानुसार 15 जुलाई दोपहर 3:01 बजे, शुभांशु और उनके तीन अंतरराष्ट्रीय सहयोगी स्पेसएक्स ड्रैगन ग्रेस यान के ज़रिए अमेरिका के सैन डिएगो तट के पास प्रशांत महासागर में सफलतापूर्वक उतरे। लगभग 28,000 किमी/घंटा की रफ्तार से पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करने के बाद, यान ने गति को धीमा करते हुए सुरक्षित लैंडिंग की।

कुछ ही मिनटों में उन्हें स्पेसएक्स की रिकवरी शिप “Shannon” पर लाया गया, जहां वे मुस्कराते हुए कैमरे की ओर हाथ हिलाते नजर आए।

अंतरिक्ष में 18 दिन का अनोखा अनुभव

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 26 जून को ISS के लिए रवाना हुए थे। वे ISS पहुंचने वाले देश के पहले और 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री बन कर इतिहास रच चुके हैं।

18 दिनों के अपने मिशन के दौरान, शुभांशु ने ISS पर 310 से अधिक ऑर्बिट पूरी की, जिसमें उन्होंने 1.3 करोड़ किलोमीटर की अद्भुत दूरी तय की। यह पृथ्वी और चंद्रमा के बीच 33 बार यात्रा करने के बराबर है। क्रू ने ऑर्बिटल लैब से 300 से अधिक सूर्योदय और सूर्यास्त भी देखे।

अंतरिक्ष में किए गए 7 अहम वैज्ञानिक प्रयोग

शुभांशु ने अंतरिक्ष में 7 महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें शामिल थे:

  • माइक्रो ग्रैविटी में स्टेम सेल विभेदन
  • साइनोबैक्टीरिया (सूक्ष्म शैवाल) पर शोध
  • स्वास्थ्य निगरानी व जैविक क्रियाएं

इन शोधों का उद्देश्य चंद्रमा, मंगल और दीर्घकालिक स्पेस मिशनों के लिए वैज्ञानिक नींव रखना है। स्टेम सेल रिसर्च से भविष्य में कैंसर के इलाज में भी मदद मिलने की संभावना जताई जा रही है।

अंतरिक्ष से लौटे शुभांशु शुक्ला: भारत वापसी कब?

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने पुष्टि की है कि शुभांशु 17 अगस्त 2025 तक भारत लौट सकते हैं। उससे पहले उन्हें निम्नलिखित प्रक्रियाओं से गुजरना होगा:

  • पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में ढलने की प्रक्रिया
  • चिकित्सा जांच और स्वास्थ्य मूल्यांकन
  • ISRO और Gaganyaan टीम के साथ ब्रिफिंग सेशन
  • एक सप्ताह तक पृथ्वी पर अलग-थलग पुनर्वास

भारत के पहले ISS यात्री, दूसरे अंतरिक्ष यात्री

  • शुभांशु ISS की यात्रा करने वाले पहले भारतीय बने हैं।
  • वे 1984 में सोवियत मिशन पर गए राकेश शर्मा के बाद भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री हैं।
  • साथ ही उन्होंने पृथ्वी की कक्षा में 20 दिन बिताकर एक नया रिकॉर्ड भी बनाया है।

एक्सिओम-4 मिशन की प्रमुख बातें

  • लॉन्च डेट: 25 जून 2025 (फ्लोरिडा से)
  • ISS पर आगमन: 26 जून (28 घंटे बाद)
  • मिशन अवधि: 18 दिन
  • प्रयोग: 60 वैज्ञानिक परीक्षण, 20 आउटरीच सत्र
  • सह-यात्री: पैगी व्हिटसन (कमांडर), स्लावोज विस्नीव्स्की (पोलैंड), टिबोर कापू (हंगरी)
  • भारत का निवेश: ₹550 करोड़

गगनयान के लिए अमूल्य अनुभव और सीख

ISRO के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के डायरेक्टर नीलेश एम देसाई ने बताया कि, “शुभांशु शुक्ला ने ISS पर अपने समय के दौरान जो अनुभव प्राप्त किया है, वह अगले दो वर्षों में प्लान्ड गगनयान प्रोग्राम के लिए बेहद मूल्यवान होगा।” यह अनुभव गगनयान मिशन की योजना और उसे सफल बनाने में मदद करेगा।

साथ ही, यह ISRO के लिए महत्वपूर्ण डेटा और सीख प्रदान करेगा, खासकर:

माइक्रोग्रैविटी और जैविक प्रयोगों की संरचना

मानव शरीर पर अंतरिक्ष के प्रभाव

मिशन योजना और आपातकालीन प्रक्रियाएं

गगनयान मिशन कब लांच होगा?

ISRO के मुताबिक, भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन “गगनयान” 2027 की पहली तिमाही में लॉन्च होगा। ISRO अध्यक्ष वी. नारायणन ने मई 2025 में यह जानकारी दी थी।

पूर्व निर्धारित परीक्षण:

  • दो बिना चालक दल के मिशन
  • एक मिशन मानव जैसी क्षमताओं वाले रोबोट के साथ
  • यह ISRO का अब तक का सबसे महत्वाकांक्षी मिशन माना जा रहा है। पहले इसे 2022 में लॉन्च किया जाना था, लेकिन तकनीकी और लॉजिस्टिक कारणों से इसमें देरी हुई।

शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक निर्णायक क्षण है। उन्होंने केवल भारत का नाम रोशन नहीं किया, बल्कि आने वाले गगनयान मिशन की नींव भी रखी है। उनके द्वारा प्राप्त अनुभव और प्रयोग भारतीय विज्ञान समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगे।

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✍️ यह लेख News Ka Store की संपादकीय टीम द्वारा लिखा गया है। हमारा उद्देश्य आपको निष्पक्ष, सटीक और उपयोगी जानकारी देना है।

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