हिमाचल में 2 साल की ट्रेनी भर्ती बनी बवाल

हिमाचल में 2 साल की ट्रेनी भर्ती: हिमाचल प्रदेश सरकार ने सरकारी नौकरी की नई व्यवस्था शुरू की है जो अभ्यर्थियों के लिए अधिक चुनौतीपूर्ण हो गई है। नई जॉब ट्रेनी स्कीम के तहत अब अभ्यर्थियों को तीन चरणों से गुजरना होगा – पहले मुख्य परीक्षा पास करनी होगी, फिर 2 साल तक जॉब ट्रेनी के रूप में काम करना होगा और अंत में दोबारा परीक्षा देकर रेगुलर कर्मचारी बनना होगा।

सरकार के मुताबिक़ योजना के मुख्य उद्देश्य

हिमाचल प्रदेश के कार्मिक विभाग द्वारा 19 जुलाई 2025 को जारी इस अधिसूचना के अनुसार, इस स्कीम के तीन प्रमुख उद्देश्य हैं:

1. अधिक जवाबदेही (Greater Accountability): नए कर्मचारियों में अधिक जिम्मेदारी की भावना विकसित करना।

2. प्रेरणा और व्यावसायिकता (Motivation and Professionalism): कर्मचारियों में कार्यक्षेत्र के प्रति प्रेरणा और व्यावसायिकता बढ़ाना।

3. बेहतर शासन व्यवस्था (Improved Governance): अंततः प्रशासनिक तंत्र को मजबूत बनाना और शासन की गुणवत्ता में सुधार लाना।

तीन चरणों में होगी नियुक्ति – समझें पूरी प्रक्रिया

चरण 1 – मुख्य परीक्षा: सबसे पहले अभ्यर्थियों को खुली प्रतिस्पर्धी परीक्षा पास करनी होगी।

चरण 2 – जॉब ट्रेनी अवधि: परीक्षा पास करने के बाद उन्हें 2 साल तक जॉब ट्रेनी के रूप में फिक्स्ड सैलरी पर काम करना होगा।

चरण 3 – फाइनल परीक्षा: दो साल की ट्रेनिंग के बाद फिर से पोस्ट ट्रेनिंग परीक्षा पास करके ही रेगुलर कर्मचारी बन सकेंगे।

किन पदों पर लागू होगी योजना

किन पदों पर लागू होगी योजना

यह स्कीम राज्य सरकार के सभी विभागों में ग्रुप-A, ग्रुप-B और ग्रुप-C के पदों/सेवाओं पर लागू होगी। हालांकि, इस योजना में शामिल अनुलग्नक-A में सूचीबद्ध पद/सेवाएं इसके अपवाद होंगे।

इन पदों पर नहीं लागू होगी नई योजना:

लोक सेवा आयोग की संघ से व्हाइट कॉलर कॉम्पिटिशन एग्जाम के माध्यम से भरे जाने वाले पद इसमें शामिल नहीं हैं। इसके अलावा:

छूट प्राप्त पद: चिकित्सक, नर्सिंग ऑफिसर, लैब टेक्निशियन और इंजीनियर जैसे तकनीकी पद, जूडिशियल ऑफिसर, असिस्टेंट कमांडेंट, क्लर्क, स्टेनोग्राफर, ड्राइवर और अन्य पद जो पहले की भर्ती नीति में शामिल हैं।

हिमाचल में 2 साल की ट्रेनी भर्ती: जॉब ट्रेनी के लिए मुख्य नियम

नई चुनौतियां:

  • मुख्य परीक्षा पास करने के बाद भी तुरंत रेगुलर नहीं बन सकते
  • दो साल तक केवल फिक्स्ड सैलरी मिलेगी, रेगुलर कर्मचारी के सभी लाभ नहीं
  • 2 साल बाद फिर से परीक्षा की तैयारी करनी होगी
  • दूसरी परीक्षा फेल होने पर रेगुलर नहीं बन सकेंगे

ट्रेनिंग अवधि के नियम:

  • जॉब ट्रेनी को मासिक समेकित फिक्स्ड राशि का भुगतान होगा
  • सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले नियमित भत्ते नहीं मिलेंगे
  • केवल HIMCARE/आयुष्मान भारत का मेडिकल बेनिफिट मिलेगा

प्रशिक्षण और मूल्यांकन:

  • दो साल की जॉब ट्रेनी अवधि के बाद उम्मीदवारों को निर्धारित पोस्ट ट्रेनिंग परीक्षा पास करनी होगी
  • योग्यता परीक्षा या दक्षता बार टेस्ट के आधार पर नियुक्ति से पहले प्रोबेशन क्लीयर करना होगा

चिकित्सा लाभ:

  • जॉब ट्रेनी HIMCARE/आयुष्मान भारत के तहत चिकित्सा लाभ योजनाओं के लिए पात्र होंगे
  • ये व्यक्ति इन योजनाओं के सदस्य बन सकेंगे

सेलेक्शन प्रक्रिया

इस योजना के तहत चयन केवल अधिकृत प्राधिकरण/एजेंसी के माध्यम से ही किया जाएगा। सक्षम प्राधिकरण द्वारा निर्धारित पात्रता मानदंड और चयन प्रक्रिया का सख्ती से पालन किया जाएगा।

तैयारी कर रहे युवाओं के लिए बड़ा झटका

यह योजना खासकर उन युवाओं के लिए एक बड़ा झटका है जो पिछले 3 साल से सरकारी नौकरी का इंतजार कर रहे हैं और लाइब्रेरियों में बैठकर दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।

पुराने अभ्यर्थियों पर मार:

1. सपनों का टूटना: जो युवा सिर्फ एक परीक्षा की तैयारी में लगे थे, अब उन्हें दोहरी चुनौती का सामना करना होगा

2. लाइब्रेरी की मेहनत बेकार: पिछले 3 सालों से कोचिंग सेंटर और लाइब्रेरी में बिताए घंटों का हिसाब अब बदल गया

3. परिवारिक दबाव: घर वाले पहले से ही पूछ रहे हैं कि “कब मिलेगी नौकरी”, अब और 2 साल का इंतजार

4. उम्र का फैक्टर: जो लोग पहले से ही 25-30 के हो चुके हैं, उनके लिए 2 साल और इंतजार करना मुश्किल

नई चुनौतियां:

5. अधिक लंबी प्रक्रिया: अब सरकारी नौकरी पाने में कम से कम 2 साल अतिरिक्त समय लगेगा

6. दोहरी परीक्षा का बोझ: एक बार परीक्षा पास करने के बाद भी 2 साल बाद फिर से परीक्षा की तैयारी करनी होगी

7. अनिश्चितता: 2 साल ट्रेनिंग के बाद भी अगर दूसरी परीक्षा फेल हो जाए तो रेगुलर नहीं बन सकेंगे

8. कम सुविधाएं: जॉब ट्रेनी के दौरान रेगुलर कर्मचारी जैसे सभी लाभ नहीं मिलेंगे

लाइब्रेरी वालों की हकीकत:

  • सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक पढ़ने वाले युवाओं के लिए यह नियम गेम चेंजर है
  • जो सोच रहे थे कि एक बार एग्जाम क्लियर करके लाइफ सेटल हो जाएगी, अब वो सपना टूट गया
  • अब तो पहले एग्जाम पास करो, फिर 2 साल काम करते रहो, फिर से पढ़ाई शुरू करो

सरकार की असली मंशा – वित्तीय बोझ कम करना

हिमाचल प्रदेश सरकार की इस योजना के पीछे असली मकसद वित्तीय बोझ कम करना है। सरकार चाहती है कि जितनी कम स्थायी नौकरियां दी जा सकें, उतना बेहतर हो।

वित्तीय लाभ:

1. कम पेंशन बोझ: कम रेगुलर कर्मचारी मतलब भविष्य में कम पेंशन देना होगा

2. कम भत्ते: जॉब ट्रेनी को महंगाई भत्ता, HRA और अन्य सरकारी लाभ नहीं देने होंगे

3. आसान छंटनी: जॉब ट्रेनी को कभी भी निकाला जा सकता है, रेगुलर कर्मचारी की तरह जॉब सिक्योरिटी नहीं

4. कम बजट: फिक्स्ड सैलरी देकर सरकारी खर्च नियंत्रित करना

असली रणनीति:

  • जितने कम लोगों को रेगुलर बनाना पड़े, उतना अच्छा
  • दो साल बाद की परीक्षा में कई लोगों को फेल करके छांटा जा सकता है
  • लंबे समय तक अस्थायी कर्मचारियों से काम चलाना
  • भर्ती की रफ्तार धीमी करके पदों को खाली रखना

यह योजना कागज़ पर “प्रशासनिक सुधार” के नाम से आई है, लेकिन वास्तव में यह सरकारी खर्च कम करने और स्थायी नौकरियों से बचने की रणनीति है।

यह खबर हिमाचल प्रदेश सरकार के कार्मिक विभाग की आधिकारिक अधिसूचना संख्या PER(AP)-C-B(15)-3/2024 दिनांक 19 जुलाई 2025 पर आधारित है।


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✍️ यह लेख News Ka Store की संपादकीय टीम द्वारा लिखा गया है। हमारा उद्देश्य आपको निष्पक्ष, सटीक और उपयोगी जानकारी देना है।

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