मुख्य बिंदु:
- ट्रंप ने भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाकर कुल 50% तक पहुंचाया
- रूसी तेल आयात को लेकर द्वितीयक प्रतिबंधों की चेतावनी
- भारत ने टैरिफ वृद्धि को अनुचित और अनावश्यक बताया
- चीन पर भी इसी तरह के प्रतिबंधों की संभावना
ट्रंप का भारत को निशाना: “केवल 8 घंटे हुए हैं, और भी बहुत कुछ होगा”
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की, जो पहले से लगे 25% के अतिरिक्त है। इससे भारतीय सामानों पर कुल टैरिफ 50% हो गया है।
जब एक पत्रकार ने पूछा कि रूसी तेल आयात करने वाले कई देशों के बावजूद भारत को विशेष रूप से क्यों निशाना बनाया जा रहा है, तो ट्रंप ने कहा, “केवल 8 घंटे हुए हैं। देखते हैं क्या होता है। आप बहुत कुछ और देखने वाले हैं। आप बहुत सारे द्वितीयक प्रतिबंध देखने वाले हैं।”
चीन पर भी प्रतिबंधों की संभावना
जब चीन के रूसी तेल व्यापार पर सवाल उठाया गया, तो ट्रंप ने संकेत दिया कि इसी तरह की कार्रवाई पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “ऐसा हो सकता है। मैं नहीं जानता, मैं अभी तक नहीं बता सकता। लेकिन हमने भारत के साथ यह किया है। हम शायद कुछ और देशों के साथ भी ऐसा कर रहे हैं, उनमें से एक चीन हो सकता है।”
टैरिफ की विस्तृत जानकारी

वर्तमान टैरिफ संरचना:
- पहला चरण: 25% टैरिफ (7 अगस्त 2025 से प्रभावी)
- दूसरा चरण: अतिरिक्त 25% टैरिफ (21 दिन बाद से प्रभावी)
- कुल प्रभाव: भारतीय आयात पर 50% टैरिफ
ट्रंप के कार्यकारी आदेश के अनुसार, यह अतिरिक्त शुल्क सीमित छूट सूची को छोड़कर सभी भारतीय आयात पर लागू होगा।
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया: “3U – अनुचित, अन्यायपूर्ण और अनावश्यक”
भारत की विदेश मंत्रालय ने तुरंत जवाबी कार्रवाई करते हुए इस टैरिफ वृद्धि की कड़ी निंदा की। मंत्रालय ने इसे “अनुचित, अन्यायपूर्ण और अनावश्यक” बताया।
भारत सरकार का आधिकारिक बयान:
“अमेरिका ने हाल के दिनों में भारत के रूसी तेल आयात को निशाना बनाया है। हमने इन मुद्दों पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है, जिसमें यह तथ्य भी शामिल है कि हमारा आयात बाजार के कारकों पर आधारित है और भारत की 1.4 बिलियन जनसंख्या की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के समग्र उद्देश्य से किया जाता है।”
मंत्रालय ने आगे कहा कि “भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई करेगा।”
रूसी तेल आयात का मुद्दा
भारत का पक्ष:
- ऊर्जा सुरक्षा: 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना
- बाजार कारक: आर्थिक विवेक के आधार पर निर्णय
- राष्ट्रीय हित: देश की संप्रभु नीति का मामला
अमेरिका का आरोप:
“भारत न केवल बड़ी मात्रा में रूसी तेल खरीद रहा है, बल्कि खरीदे गए अधिकांश तेल को भारी मुनाफे के लिए खुले बाजार में बेच रहा है।”
अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव और चुनौतियां
द्विपक्षीय संबंधों पर प्रभाव:
- भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी पर नकारात्मक असर
- व्यापारिक रिश्तों में तनाव
- पारस्परिक सम्मान के सिद्धांतों पर प्रश्नचिह्न
आर्थिक नतीजे:
- भारतीय निर्यातकों पर दबाव
- अमेरिकी उपभोक्ताओं पर महंगाई का बोझ
- वैश्विक व्यापार में अस्थिरता
ऐतिहासिक संदर्भ
यह पहली बार नहीं है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक मुद्दों को लेकर तनाव हुआ है। ट्रंप ने पहले भी भारत के टैरिफ को “बहुत ऊंचा” और “किसी भी देश की सबसे कठोर और आक्रामक गैर-मौद्रिक व्यापार बाधाएं” बताया था।
आगे की राह
भारत के विकल्प:
- कूटनीतिक वार्ता: द्विपक्षीय बातचीत के माध्यम से समाधान
- WTO की शरण: विश्व व्यापार संगठन में शिकायत दर्ज करना
- प्रतिकारी उपाय: अमेरिकी सामानों पर काउंटर टैरिफ
वैश्विक निहितार्थ:
- अन्य देशों के लिए संदेश
- मल्टीलैटरल ट्रेड सिस्टम पर प्रभाव
- ऊर्जा सुरक्षा बनाम भू-राजनीतिक दबाव का द्वंद्व
यह विवाद न केवल भारत-अमेरिका संबंधों के लिए बल्कि वैश्विक व्यापार व्यवस्था के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ है। जबकि अमेरिका रूस पर दबाव बढ़ाने के लिए द्वितीयक प्रतिबंधों का सहारा ले रहा है, भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय संप्रभुता पर अडिग है। आने वाले दिनों में देखना होगा कि यह व्यापारिक युद्ध कहां तक जाता है और क्या दोनों देश आपसी बातचीत से इस संकट का समाधान निकाल पाते हैं।
अस्वीकरण: यह जानकारी विश्वसनीय अंतर्राष्ट्रीय समाचार स्रोतों पर आधारित है। व्यापारिक निर्णयों के लिए आधिकारिक सरकारी अपडेट का इंतजार करें।